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Showing posts from July, 2018

My World My Definition

सारे पैमाने तोड़ रखे हैं मैने , मुझे जितनी भी मिलती हैं , पी लेता हूँ । जिंदगी ,कहां शिकवा किया मैंने तुझसे , तू जितनी भी मिली है , तुझे जी लेता हूं कही सूख न जाये, इन आंखों का सैलाब, ...

Rain in the city

जरा से बरस क्या गए,  शहर में उफान आ गया बारिश ही तो है ये,वो कहने लगे कि तूफान आ गया जब तैरने लगा नाकामियों का पानी, समंदर बनकर तो उस की जद में अमीरों का भी मकान आ गया

Mode of Assessment

निशाने बदले जाते हैं , अंगूठे काटे जाते हैं आज भी शिष्य , अर्जुन और एकलव्य में बांटे जाते हैं किसी को चक्रव्यूह सिखाया जाता है किसी को उस में फंसाया जाता है गुरुकुल में यूं ही ...

अहंम

मित्रता के मार्ग पर हम अंहम लगाए बैठे हैं स्थितियों की शंकाओं का वहम लगाए बैठे हैं निजताओं में कटुताओ का मिश्रण तो स्वाभाविक है । पर बाधाओं के पर्वत को हम स्वयं लगाए बैठे ह...

खुद से पहचान

तू अपनी हैसियत को जान क्यों नहीं लेता तू जो है वो तू मान क्यों नहीं लेता कब तलक खुद से जंग जारी रखेगा कुछ पल के लिए खुद से संधि विराम क्यों नहीं लेता

लम्हें और उम्र

मुझे कागज ,कलम, और शराब तो दे दो, मेरे गुजरे हुए लम्हों का , हिसाब तो दे दो मेरा दर्द , मेरे चेहरे से ,छलक जाता है मुझे जीने के लिए एक नकाब तो दे दो  अभी तक उम्र गुजारी है , उनके ख्याल म...

बरसात और बादल

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आज फिर घटाएं उमड़ आई हैं आज फिर वह तराने याद आएंगे आज फिर जमीं से जाकर लिपटी हैं बूंदे आज फिर वह जमाने याद आएंगे उनकी निगाहों से जो लगाए गए थे कभी आज फिर वह निशाने याद आएंगे जिन राहों में कभी उनका इंतजार किया था वो आज भी नहीं बदली वो कभी तो मेरे जख्मों के निशान अपने उन को दिखाने आएंगे आज फिर घटाएं उमड़ आई हैं आज फिर वह तराने याद आएंगे आज फिर जमीन से जाकर लिपटी है बूंदें आज फिर वह जमाने याद आएंगे।

मेरी व्याकरण तुम्हारा आचरण

मेरी व्याकरण के शुद्धीकरण को छोड़, अपने मन के अशुद्धिकरण  को रोकें , लोभ के मोह  में ,जो भ्रष्ट हुए जा रहे हैं अपने खुद के उस वशीकरण को रोकें

वृक्ष या शाख

यह युद्ध मेरा स्वयं से है, तुम यूं परेशान  क्यों हो  मेरे पूछे गए सवालों से तुम  यूं हैरान  क्यों हो तुम सिर्फ शाख हो इस वृक्ष की,  वृक्ष नहीं तुम अपनी इस हकीकत से , यूं अनजान  क...

मतभेद

हमने तुमसे कहना सीख लिया है तुमने हमको सहना सीख लिया है मतभेदों के बगीचे में साथ घूम कर आते है लड़ कर भी तुमसे हमने , मिलकर रहना सीख लिया है

सरकार के वादे

फिर मेले लगने वाले हैं , फिर सपने बेचे जाएंगे गिद्धों का भोज निमंत्रण होगा, उसमे अपने बेचे जाएंगे मरघट से लेकर मंडी तक एक सेतु बनाया जाएगा  उसमें  स्वर्णिम  सपनों के अरमानो...

तेरी मेरी जिम्मेदारी

समरसता बनी रहे यह जिम्मेदारी  हम पर है  सुख-दुख साथ में काटेंगे यह हिस्सेदारी हम पर हैं आंधियां आएंगी, शाखें भी टूटेंगी पर यह फुलवारी बनी रहे यह जिम्मेदारी हम पर है

मौसम और इंसान

पीछे का नीला , आगे का गुलाबी क्यों लगता है शाम ढलते ही यह आसमां शराबी क्यों लगता है बरसना है तो बरस जाए , यूं इतराता क्यों है अपनी नियत में तू यह खराबी क्यों रखता है

तेरी जरूरत

धरती ने पूछा अंबर से यह बादल कौन है मुझ पर उमड़ता रहता है यह पागल कौन है क्या तुमने इसे भेजा है मेरी तपन मिटाने को क्या तुमने इसे भेजा है मेरी अगन बुझाने को मुझ पर बरसता रहता ह...

इंसान में इंसान

गिद्धों के बीच में कुछ को इंसान बने रहने दो इतना भी न गिरो अपना ईमान बने रहने दो  वहशत और जलालत कहीं बाहर से नहीं आती अपने अंदर के इंसान को इंसान बना रहने दो

अपनी यारी

आसमानों में उड़कर देखा, उसका कोई पार नहीं है अकेला ही जाता है आदमी ऊंचाइयों पर वहां उसका कोई यार नहीं है जमीं पे चलने से लोग मिल भी जाते हैं आसमां में देखा मैंने , वहां कोई संस...

Distance of life

प्रश्नों की पहरेदारी है ,और उत्तर का आभास है कितना दूर लगे हैं जीवन , पर देखो तो कितना पास है मेरी नजर से देखा मैंने , धरती और अंबर दूर नहीं तब तक ,जब तक , मेरा  चिंतन , मेरे लेखन के स...