सरकार के वादे

फिर मेले लगने वाले हैं , फिर सपने बेचे जाएंगे
गिद्धों का भोज निमंत्रण होगा, उसमे अपने बेचे जाएंगे
मरघट से लेकर मंडी तक एक सेतु बनाया जाएगा 
उसमें  स्वर्णिम  सपनों के अरमानों को दफनाया जाएगा  उद्घोषों के संस्करणों में उद्घोष ही सेजे जायेंगे
फिर मेले लगने वाले हैं फिर सपने बेचे जाएंगे

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