तू घुला है मेरे ख्यालों में आकर तेरा एहसास हर एक सांस में है फासला कुछ भी हो तेरा मेरा लगता है तू मेरे पास में है आंखों में बस गया है तू इक सुनहरे खवाब की तरह तू मेरे दिल के हर एक...
सदियों से सागर उमड़ रहे हैं अपनी व्यथा सुनाने को कहां कोई चंद्रमा बैठा है उनकी हद तक आने को थोड़ा जगत रचयिता समझे बस थोड़ा चांद समझ जाए फिर देखो उत्पात सिंधु का अपनी प्यास ...
कुछ ने हमसे यूं मुंह मोड़ा कुछ बीच भंवर में छोड़ गए कुछ ने दिखलाई हमदर्दी कुछ हमसे नाते तोड़ गए कुछ मोह पाश में बंधे रहे कुछ मोह पाश को तोड़ गए कुछ ह्रदय में जाकर के बैठे कु...