इश्क और हुस्न
कभी हुस्न इश्क को,
कभी इश्क हुस्न को,
मजबूर करता है
मोहब्बत यूं ही नहीं होती उनसे ,
मोहब्बत तो दिल का , फितूर करता है ।
उनके हुस्न के चर्चे हैं शहर में है, यह सच नही
उनको मशहूर तो , उनके हुस्न का गुरुर करता है।
कभी हुस्न इश्क को,
कभी इश्क हुस्न को,
मजबूर करता है
मोहब्बत यूं ही नहीं होती उनसे ,
मोहब्बत तो दिल का , फितूर करता है ।
उनके हुस्न के चर्चे हैं शहर में है, यह सच नही
उनको मशहूर तो , उनके हुस्न का गुरुर करता है।
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